पिछले
कुछ सालो से हमारे देश मे भ्रष्टाचार के खिलाफ जन-आक्रोस जाग गया है . मानो पुरा
देश गहरी निंद से एका एक जाग ना गया हो इस तरह पुरा देश इस समस्या के खिलाफ एक हो
गया है . इस आंदोलन का अंजाम क्या होगा वह तो किसी को पता नही है पर इस समस्या के
खिलाफ जो जन-जागृती आई है उससे थोडी बहोत आशा की किरन जरूर दिख रही है .
कई सालो से भ्रष्टाचार के खिलाफ दबा दबा सा
जो गुस्सा है लोगो को उसे जताने का अन्नाजी जैसा एक माध्यम मीला है . सालो से लोग
राशन कार्ड से पासपोर्ट ओर चपरासी से बडे अफसर के पास झायज ओर ना-झायज काम निकलवा
ने के लीए घुस देते आए है . जन्म का प्रमाण पत्र हो या मरण का, नकद नारायण के बिना
कोई काम नही होता है . रेल्वे टीकीट हो या मंदिर की पुजा, नर्सरी का दाखला हो या
मेडीकल कोलेज का दाखला, या फिर पेन्शन चालु करवाना हो जीवन के हर कदम हमे किसी ना
किसी रुप मे इस समस्या का सामना करना ही पडता है . मानो भ्रष्टाचार कोइ समस्या नही
एक शिष्टाचार हो.
इस जन-आदोलन का फेलावा देक कर ही हम समज
शकते है की लोको के अंदर इस समस्या के खिलाफ कितना गुस्सा है. हम कितने सालो से इस
समस्याके खिलाफ जुज रहे है किन्तु आज तक सफलता नही मीली . उल्टा यह समस्या साल दर
साल अपना दायरा बढाती ही जाती है . चाय-पानी से जीसकी सुरूआत हुई थी आज उस का
दायरा अरबो रूपैए के घोटालो तक फेल गया है . कानुन के रक्षक ओर निर्माता भी इस के
दायरे मे आ गये है . हम यह कह सकते है की इस समस्या की जडे गहेरी ओर गहेरी होती जा
रही है .
भारत मुलत्व एक बडी आबादीवाला देश है . इस
आबादी का एक बडा हिस्सा आज भी मुलभुत सुविधाओ से वंचित है . आबादी मे आर्थीक
असमानता भी है . स्वाधीनता के बाद मुलभुत सुविधाओ की दिशा मै शासन कर्ताओ को जो
काम करना चाहिये था वो काम नही होने से आबादी के अनुपात मे वो सुविधा ए कम है .
देश के सभी हिस्सो मै एक अनार सो बिमार जैसी ही स्थीति है . ओर इसी स्थिती की वजह
से मुल रूप से भ्रष्टाचार का जन्म होता है . जीस चिझ की मांग ज्यादा होती है उस की
किंमत मे उछाल आता है उसी तरह जीस सेवा की ज्यादा मांग होती है उस मै भ्रष्टाचार
पनपता है .
भ्रष्टाचार को रोकने के लीए सु-शासन के साथ
मुल भुत आवश्यता ओ को देश के हर एक लोगो तक पहोचाना होगा . जीस दीन यह काम हो गया
उस दीन यह देश अवश्य ही भ्रष्टाचार मुक्त हो जाएगा .
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